Exclusive: दो अफसरों के कब्जे में सरकार के 2 लाख करोड़, एक लाइन के आदेश से 56 ट्रेजरीज के पावर छीन लिए

 








Exclusive: दो अफसरों के कब्जे में सरकार के 2 लाख करोड़, एक लाइन के आदेश से 56 ट्रेजरीज के पावर छीन लिए

पिछली गहलोत सरकार में भुगतान प्रणाली को लेकर बड़ा घोटाला सामने आ रहा है। वित्त विभाग के दो अफसरों ने एक लाइन का आदेश निकाल कर सालाना दो लाख करोड़ की भुगतान व्यवस्था को अपने कब्जे में कर लिया। इसके लिए राजस्थान की सभी 56 ट्रेजरी के पावर ई-सिलिंग सॉफ्टवेयर के नाम पर खुद ले लिए। सीएजी ने इस पर जबरदस्त तरीके से आपत्ति रिपोर्ट मांगी है।




 

राजस्थान के ट्रेजरी नियमों में जो भुगतान व्यवस्था अब तक जिलों में ट्रेजरी अफसरों के पास थी, उसे एक लाइन के आदेश से वित्त (मार्गोपाय) विभाग के दो अफसरों ने अपने कब्जे में कर लिया। इसके लिए एक ई-सीलिंग सॉफ्टवेयर लाया गया। इसके सॉफ्टवेयर के जरिए राजस्थान की सभी 56 ट्रेजरीज के ईसीएस (भुगतान) करने के अधिकार वित्त विभाग के मार्गोपाय विंग में चले गए।

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राजस्थान में ट्रेजरी के माध्यम से सालाना दो लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया जाता था, जो अब सिर्फ दो अफसरों की मर्जी पर चल रहा है। अब भुगतान में मनमर्जी का ये आलम है कि ठेकेदरों से लेकर कर्मचारियों तक की लाइनें यहां इन अफसरों के चेंबर पर लगी रहती हैं। 2,500 करोड़ के पेंशनर्स के परिलाभ भी रोक रखे हैं। कर्मचारियों के सरेंडर लीव से लेकर ग्रेच्यूटी, जीपीएफ और सरेंडर लीव तक के भुगतान कई महीनों से पेंडिंग चल रहे हैं।






सरकार के ट्रेजरी रूल्स मुताबिक, संबंधित जिले में भुगतान का अधिकार वहां की ट्रेजरी को ही होता है। यही नहीं भुगतान प्रणाली में किए किसी भी बदलाव से पहले सरकार को इसकी जानकारी सीएजी को भी देनी जरूरी है। लेकिन वित्त विभाग के अफसरों ने ऐसा नहीं किया। अब सीएजी ने इस मामले में वित्त विभाग से जवाब मांगा है।

सीएजी की आपत्ति
ट्रेजरी रूल्स 144 (a)(1)(2)(3) के अनुसार, आरबीआई ई-कुबेर के माध्यम से भुगतान करने की प्रक्रिया समस्त स्टेक होल्डर्स (आरबीआई-सीएजी ऑफिस एवं राज्य सरकार) के मध्य लंबे विमर्श के बाद लागू की गई थी। उसी के अनुरूप दिनांक 7.08.2020 को कोषागार नियम 2012 का नियम 144 (a), (144 (b) जोड़ा गया। इससे कोषालयों की डीएससी से इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट फाइल्स ई-कुबेर पोर्टल द्वारा स्वीकार किया जाने का स्पष्ट उल्लेख है। इसी प्रक्रिया के तहत कोषालय वार बैंक खाते आरबीआई में खोले गए हैं।

आपके उत्तरानुसार ई-कुबेर ट्रेजरी वाइज डीएससी स्वीकार नहीं करके केवल SFTP सर्वर सर्टिफिकेट ही स्वीकार करता है। पूर्व में इस प्रक्रिया के बदलाव का कोई पत्राचार इस कार्यालय को उपलब्ध नहीं है। अब इस हेतु आरबीआई एवं इस कार्यालय से हुए पत्राचार का विवरण SFTP सर्वर सर्टिफिकेट की स्वीकार्यता के बार में आईटी एक्ट 2000 एवं भारत सरकार की ओर से जारी अन्य गाइड लाइन्स में लिए गए प्रावधान उपलब्ध करवाएं, ताकि नियमों में संशोधन पर टिप्पणी की जा सके।

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